राज-रमेश : हमने काफी काम शुरू दिए हैं। जल्द ही आप तन्हाई, आहिस्ता-आहिस्ता, सावन में आग (भोजपुरी), फिर आया वो मौसम गानो को सुनने वाले हैं, जिनको गाया है अरुण उपाध्याय ने। इसके अलावा कुछ और गाने भी जल्द ही रिलीज़ होने वाले हैं, जिनको सोनू मोरवाल गा रहे हैं। सोनू मोरवाल की आवाज़ में जल्द ही आप 'ठण्ड' गाना सुनेंगे। हम काम करते समय सिचुएशन का बहुत ध्यान रखते हैं और उसी के अनुसार म्यूज़िक कम्पोज़ करते हैं। एक गाना हम बच्चो के लिए भी बना रहे हैं, वो ऐसा गाना होगा जिस पर बच्चे बार-बार नाचना चाहेंगे और नाचते-नाचते बच्चे बहुत सी पढ़ाई भी कर लेंगे। अपने कुछ और गानो में हमारा प्रयास होगा की बच्चों को गाने के माध्यम से मस्ती के साथ-साथ कुछ सीखा भी सकें। सभी म्यूज़िक एलबम्स मोक्ष म्यूज़िक से रिलीज़ होने जा रहे हैं।
किसी भी गाने पर काम करते समय किस चीज़ पर ध्यान देते हैं ?
राज-रमेश : बहुत ही अच्छा सवाल है। कोई भी गाने पर काम शुरू करने से पहले हम उसकी नींव तैयार कर लेते हैं। किसी भी गाने पर काम करने से पहले उसके सब्जेक्ट और कॉन्सेप्ट पर हम ध्यान देते हैं। फिर, कुछ धुन तैयार करके उस के बोल पर काम करते हैं। फिर बाकी काम होते हैं। हमारा सबसे पहला काम कॉन्सेप्ट तैयार करना होता है। बिना सब्जेक्ट और कॉन्सेप्ट के गाना बेबुनियाद हो जाता है। बिना कॉन्सेप्ट के गाना बिना आत्मा के शरीर जैसा होता है।
पहले के संगीत और आज के संगीत में क्या फर्क पाते हैं ?
राज-रमेश : संगीत एक ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा हम सुकून पाते हैं। संगीत हमारे मन और तन में ऊर्जा का संचार करता है। जहां तक बात की जाए पहले के संगीत की, पहले का संगीत कानों को मिठास देता था। उस ज़माने के बोल, गीत, धुन आदि लाजवाब होते थे। उन गीतों में अर्थ होता था जो आजकल नहीं होता है। संगीत में नवीनीकरण तो हुआ है लेकिन अर्थहीन और दिशाहीन। पहले का संगीत शांत होते हुए भी अपनी बात श्रोताओं तक पहुंचा देता था। लेकिन आज का लाउड और तीखा होने के बावजूद भी अर्थहीन रहता है। बाकी समय के साथ श्रोताओं की पसंद के साथ-साथ संगीत की शैली में परिवर्तन तो चलता ही रहेगा।
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संगीत के प्रति राज-रमेश की सोच एक जैसी है, लेकिन स्टाइल अलग-अलग है।
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बॉलीवुड में आने वाले नए टैलेंट को मौका नहीं मिल पा रहा है, उन्हें क्या करना चाहिए ?
राज-रमेश : यह वाकई में चिंता का विषय है कि उत्तर भारत से बहुत सारे कलाकार मुंबई जाते हैं, लेकिन सभी के हाथ सफलता नहीं लगती। कुछ को काम मिल जाता बाकी को मायूसी ही मिलती है। हम काफी समय से देख रहे हैं कि उत्तर भारत से बहुत सारे कलाकार 'बॉलीवुड' पलायन कर रहे हैं, लेकिन सभी को काम और नाम नहीं मिल पाता । 'वुड' का क्रेज ही ऐसा है कि सब कलाकार वहीँ खींचे जाते हैं। अब हमने कोशिश की है कि हम 'डोलीवूड' की स्थापना करें, जहाँ सभी कलाकारों को मौका मिल सके वो दिल्ली में रहते हुए ही अपना कैरियर बना सकें। 'डोलीवूड' एक ऐसा प्लेटफार्म बनेगा, जहाँ सभी कलाकार अपने सपनो को उड़ान दे पाएंगे।
भविष्य में हमें 'डोलीवूड' में हमें क्या-क्या देखने को मिलेगा ?
राज-रमेश : हम अच्छा काम कर रहे हैं। 'डोलीवूड' आने वाले समय में ऐसा मंच बनेगा जहाँ कलाकार को आगे बढ़ने के लिए किसी तरह की बाधा नहीं आएगी। डोलीवूड में हर तरह के गाने हर भाषा में बनेंगे। पार्टी सांग से लेकर सिचुएशनल गानो पर हम काम करेंगे। गानों की विषय-वस्तु की क्वालिटी पर हमारा खास ध्यान रहेगा। हम कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। अभी सबके बारे में नहीं बता सकते। धीरे- धीरे हमारा बनाया हुआ म्यूज़िक बाजार में आता रहेगा। 'डोलीवूड' में क्षेत्रवाद नहीं होगा। हम सभी भाषाओँ के संगीत के उत्थान पर भी काम करेंगे। फिलहाल, हम लोग हिंदी, भोजपुरी और हरियाणवी भाषाओं पर काम कर रहे हैं। भविष्य में 'डोलीवूड' को 'बॉलीवुड' के विस्तारित मंच के तौर पर देखा जाएगा। 'डोलीवूड' में हम सभी प्रोडक्शन हाउस और मीडिया कम्पनीज़ को एक साथ लेकर चलने का प्रयास करेंगे और मिलकर सभी क्षेत्र के कलाकारों के लिए काम की संभावनाएं पैदा करेंगे।
बॉलीवुड में काम करने के बारे में आप क्या सोचते हैं ? या फिर आप सिर्फ 'डोलीवूड' में ही काम करेंगे।
राज-रमेश : देखिये, जैसा की हमने पहले भी कहा 'डोलीवूड' का कनेक्शन बॉलीवुड से सदैव बना रहेगा। डोलीवूड को भविष्य में बॉलीवुड के विस्तारित मंच के तौर पहचाना जाएगा। अच्छी विषय-वस्तु मिलेगी तो हम आगे बढ़कर काम करेंगे। हमारे लिए वुड या क्षेत्र कभी कोई सीमा नहीं बनेंगे। बॉलीवुड और डोलीवूड ऐसे दो समुद्र रहेंगे जो दूर होते हुए भी एक-दूसरे में मिल कर ही रहेंगे और एक-दूसरे के पूरक बनेंगे। दोनों के क्षेत्र तो अलग हैं, लेकिन दोनों का काम एक जैसा है। दोनों के भौगोलिक क्षेत्र भले ही अलग हों, लेकिन मंज़िलें तो एक हैं।
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राज महाज, अश्वनी राजपूत ( वाईस प्रेजिडेंट, मोक्ष म्यूज़िक) और रमेश मिश्रा। राज-रमेश के आगामी म्यूज़िक एलबम्स मोक्ष म्यूज़िक से रिलीज़ हो रहे हैं।
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रीमिक्स के बारे में क्या कहेंगे ?
राज-रमेश : नवीनीकरण तो होना ही चाहिए। आज के समय में स्टूडियोज में काफी नयी-नयी तकनीक आ चुकी हैं, जिसका पुराने समय में बहुत ही अभाव था। गानों को और बेहतर रिकॉर्ड करने के लिए स्टूडियोज़ में एक से बढ़कर एक सॉफ्टवेयर और मशीन्स उपलब्ध हैं। ऐसे में सही तौर पर तकनीक का उपयोग करके अगर पुराने गानों को और भी रुचिकर बनाया जा सके तो इससे अच्छी क्या बात होगी। हम रीमिक्स के खिलाफ नहीं हैं। रीमिक्स का मतलब ही यही है की पुरानी चीज़ों को नया फ्लेवर देना, ताकि वो कभी पुरानी न बनी रहे और नयी पीढ़ी पुराने म्यूज़िक को अपना ले।
अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में कुछ बताइये।
राज : मैं दिल्ली स्थित एक मध्यमवर्गीय वैश्य (बनिया) परिवार से आया हूँ। संगीत का बचपन से ही शौक था। मेरे परिवार में कोई और संगीत से दूर-दूर तक जुड़ा हुआ नहीं हैं। ऐसे में संगीत सीखना और जुड़े रहना बहुत ही मुश्क़िल कार्य था। जीवन के उतार-चढ़ाव बहुत देखे लेकिन मैंने संगीत और आत्म-विश्वास नहीं छोड़ा। मेरे जानने वाले मुझे देख कर विस्मित थे। लेकिन समय के साथ अपनी साधना और कार्य-कुशलता से मैंने अपनी मंज़िल को पा ही लिया।
रमेश : मेरी भी कुछ ऐसी ही कहानी है। ब्राह्मण परिवार से आया हूँ और मथुरा का रहने वाला हूँ। काफी समय से दिल्ली में ही रह रहा हूँ। शुरूआत में मैंने भी बहुत कठिनाईयां देखी। कई बार हतोत्साहित भी हुआ। लेकिन मैंने म्यूज़िक नहीं छोड़ा। माँ शारदा की कृपा से आज अपने कार्य से बहुत खुश हूँ।
नयी पीढ़ी के कलाकारों को क्या सन्देश देना चाहेंगे ?
राज-रमेश : नयी पीढ़ी के लिए हम यही कहना चाहेंगे कि तपस्या करते रहिये। कला एक साधना की तरह है। अपने-आप पर भरोसा रखिये और साधना करते रहिये। सभी प्रतिभावान कलाकारों को, फिर चाहे वो किसी भी क्षेत्र से जुड़े हों, लेखन, गायन, अदाकारी, या फिर कोई और छुपी हुयी प्रतिभा, हम सभी को एक विशाल मंच देना चाहते हैं। आप बेझिझक हमारे साथ आइये। हम आपके सपनो को उनकी मंज़िल तक पहुंचाएंगे।