संगीत वो माध्यम है जिसके द्वारा हम अपने जीवन को सुरमय बनाते हैं। उसे एक ऐसी दिशा प्रदान करते हैं, जो सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा को खींच कर उसमें सकारात्मकता प्रदान करती है। कहने को संगीत 'सात सुरों' के संगम से बनता है, लेकिन हमें अपने जीवन को सुरीली लय देने के लिए केवल एक सुर ही काफी होगा। ऐसा कहना किसी भी तरह से अतिश्योक्ति नहीं होगा। पुराणों पर अगर एक सरसरी नज़र दौड़ाएं तो हम यही पाते हैं कि हमारे 'ईष्ट' को भी संगीत ही भाता था या यूं कहिये ईश्वर को खुद से जोड़ने का सबसे असरदार और कारगर तरीका है संगीत। जिससे जीवन में ताज़गी और स्फूर्ति का संचार होता है।
एक के बाद एक लगातार एल्बम देने वाले 'राज-रमेश' का संगीत लोगों को बेहद पसंद आ रहा है। |
'संगीत' की इसी महत्ता को पहचाना नयी संगीतकार जोड़ी राज-रमेश ने। सुरीले नगमों , धुनों को अपने लोगों तक पहुँचाने का वादा कर चुके 'राज महाजन और रमेश मिश्रा'। एक आम से परिवार से बावस्ता होने वाले ये दोनों (राज-रमेश) कहते हैं, "संगीत से उसकी धुनों से हमारा एक राबता है तो हमें रोज़ इसकी खूबियों, इसकी खामियों से जोड़ता है और साथ ही हमें एक रास्ता दिखाता है जिस पर चलकर हम नित नयी इबारत लिख रहे हैं और लिखते रहेंगे। " ऐसी ही इबारत इन्होने लिख डाली, जिसका नाम है 'डॉलिवूड'. एक ऐसा कारवां, जिसके जरिये नए प्रतिभावान लोगों को अपने मुकाम और मंज़िल पर जाने का रास्ता मिल सके और एक ऐसा अवसर जिसे भुनाके तरक्की के रास्ते खुल सकें।
'राज-रमेश' की इस बेमिसाल जोड़ी ने अपने काम का आगाज़ बड़े ही शानदार तरीके से किया। 'आहिस्ता-आहिस्ता' और 'लगी ठण्ड' से अपने संगीतकार कैरियर का एक जोड़ी के रूप में ऑडियंस को बेहद सुरीले और नायब नगमे दिए। संगीत के बिगड़ते स्वरुप को अपने तरीके से संवारने का जो एक बीड़ा उठाया है, उसमें सिर्फ यही नहीं कई दिग्गज कलाकार जो अपने-अपने क्षेत्र में प्रतिष्ठित मुकाम पर हैं, इनके साथ साथ हैं।
'राज-रमेश' और गायक अरुण उपाध्याय को को बधाई देने पहुंचे मॉडल पूनम पाण्डेय, मिस्टर इंडिया पारस गुप्ता, प्लेबैक सिंगर सोनू मोरवाल और मोहित बघेल (अमर चौधरी, फिल्म 'रेड्डी') |
जी हाँ , अभी हाल ही में 'राज-रमेश' को बधाई देने वालों का सिलसिला तो शुरू हुआ वो थमने का नाम ही नहीं ले रहा। पिछले दिनों मोक्ष म्यूज़िक में नज़र आये रेड्डी फेम कॉमेडियन 'मोहित बघेल' जिनको आप 'अमर चौधरी' के नाम से 'रेड्डी' मूवी में पहचान सकते हैं , और साथ में थी 'ए ट्रिप टू भानगढ़' से बॉलीवुड में कदम रखने वाली 'पूनम पाण्डेय'। दोनों सितारों ने संगीतकार 'राज-रमेश' को उनके संगीतमय सफर की शुरूआत के लिए बधाई दी। साथ ही, बॉडी बिल्डिंग में मिस्टर इंडिया का खिताब जीतने वाले पारस गुप्ता ने भी अपने चाचा राज महाजन को और रमेश मिश्रा जी बधाई दी।
सिलसिला यूं ही रफ़्तार पकड़ता चला गया और इसी में एक नाम जुड़ा 'लाफ्टर चैलेंज सीजन 3' से प्रसिद्धि पा चुके कॉमेडियन राजीव मल्होत्रा का। मोक्ष म्यूज़िक को उनके इस सुरीले सफर में उनके काम के लिए बधाई देने पहुंचे। यहाँ आकर उन्होंने हंसी की ऐसी फुहार छोड़ी की सबने हँसते-हँसते पेट पकड़ लिया। भाई, एक कॉमेडियन किसी को बधाई अपने अंदाज़ में देते नज़र आये और लगे राज-रमेश की तारीफों के पूल बाँधने। हो भी क्यों न ! वो कहावत तो आपने सुनो होगी "तारीफ़ उन्हीं की होती है जिनमे कोई तो बात हो " और ये बात नज़र आती है इस नयी संगीतकार जोड़ी 'राज-रमेश' में।
संगीत को पूजा मानने वाली ये नयी संगीतकार जोड़ी अपने काम के प्रति कितनी तन्मयता से कार्यरत है, इसकी गवाह है उनकी एक के बाद एक आने वाली एलबम्स की सूची। नित नयी धुनों को बनाना, उन्हें समझना और फिर उन पर बारीकी से काम करना। ये कुछ बातें उन्हें दूसरों से अलग बनाती हैं।
स्पेशल कमिश्नर ऑफ़ पुलिस (दिल्ली) ने राज-रमेश से मुलाक़ात की, उनके आने वाले गाने सुने और राज-रमेश को उनके कैरियर के लिए शुभकामनाएं दीं। |
राज-रमेश की इसी दृढ़ता को देखकर उनके इस सफर में साक्षी बने एक ऐसी शख्सियत के मालिक, जिनके खड़े होने भर से ही सभी नकारात्मक तत्व शान्त हो जाते हैं। आप शायद नहीं समझे होंगे। हम यहां बात कर रहे हैं दिल्ली की क़ानून व्यवस्था के कमिश्नर दीपक मिश्रा की। दीपक मिश्रा का मोक्ष म्यूज़िक में आना और राज-रमेश का समर्थन करना भी इस बात का साक्षी है कि 'कहीं तो कुछ अच्छा हो रहा है'। पुलिस कमिश्नर दीपक मिश्रा ने संगीतकार 'राज-रमेश' के आने वाले गानो की सुना और तारीफों के पूल बाँध दिए। गौरतलब है एक सख्त और ईमानदार अफसर के तौर पर नाम कमाने वाले दीपक मिश्रा संगीतप्रेमी भी हैं। दोनों से मिलने के बाद दीपक मिश्रा ने मोक्ष म्यूज़िक टीम बाकी लोगों से भी बात की।
आज इन दोनों का यह सराहनीय कदम है जिसके फलस्वरूप आने वाले समय में एक नए संगीत से रूबरू होंगे। राज-रमेश आपका ये प्रयास खुद आपके लिए और आने वाली कई पीढ़ियों के लिए एक नया और बेमिसाल वातावरण देगा, जिसमे संगीत को सिर्फ फूहड़ता के लिए नहीं बल्कि आत्मा की शांति, दिमागी सुकून और एक औषधीय तत्व के रूप में जाना जाएगा।
कहते हैं जब हम किसी चीज़ को पाने के लिए तन-मन, और यहां तक अपना सर्वस्व लुटाकर बढ़ते हैं, प्रयास करते हैं, उसमें डूबते हैं. तो वो हमसे दूर नहीं रह सकती। और यहां तो बात है संगीत की , जो खुद ईश्वर को पसंद है, जो ईश्वर की साधना का मंत्र है :
संगीत जैसी विद्या के हो प्रिय साधक तुम,
मिले तमाक तरक्की लिखो ऐसी इबारत तुम।
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