ऐसा मंत्रमुग्ध किया, कि लोग सब कुछ भूल खाटूश्याम के दरबार में हाजिरी लगाते
नज़र आये
दीवानों की तरह झूमते नज़र आये देहरादून वासी
बाबा खाटू श्याम के दरबार में मंत्रमुग्ध करती मिस चेतना |
देहरादून में हल्की-हल्की गुलाबी ठण्ड के साथ जो स्वर गूंजे तो सारा वातावरण
ही खाटू श्याम के रंग में रंग गाया ! मौका था “बाबा खाटू श्याम के जन्मोत्सव” का !" जैसे
ही "मिस चेतना" (रॉक स्टार विजेता) ने बाबा के दरबार में गाना शुरू किया तभी से बाबा के भक्तों ने उनका
साथ नाच-गाकर दिया ! एक बार जो भजनों का सुरीला सिलसिला शुरू हुआ फिर तो रात भर
बाबा के दरबार में “कीर्तन की है रात, किशोरी कुछ ऐसा, दीवाने होकर नाचे तेरे सरबर
में, मैं हूँ छोरी हरयानी की, झोली तू भरदे ऐसे, मुरलीवाले से अपनी मुलाकात, जैसे कई
एक से बढ़कर एक भजन चलते गए !” सभी भक्त दीवानों की तरह अपनी हाजिरी दे रहे थे ! आगे आगे मिस चेतना और पीछे-पीछे बाबा के भक्त दरबार को आनंदित कर रहे थे ! ऐसा
लग रहा था मानो दीवानों-मस्तानों की टोली सी चल पड़ी हो बाबा के दर पर !
धीरे-धीरे रात गहराती गई और बाबा के दरबार में अपनी हाजिरी लगाने आये अरुण
उपाध्याय ! जय-जयकार और भजन की गूँज से देहरादून का चप्पा-चप्पा खाटू श्याम के
चरणों में अपना शीश नवा रहा था ! अपनी सुरीले आवाज़ और मीठी आवाज़ में गायक "अरुण
उपाध्याय" ने सभी को कदम-से-कदम मिलाने पर
मजबूर कर दिया ! आपने पहले भी कई वैसे तो बाबा का दरबार जहाँ भी होगा भक्त
उनसे आशीर्वाद लेने चले आयेंगे! लेकिन यहाँ के दरबार की रौनक ऐसी शोभायमान थी !
मानो जैसे कई असंख्य रागिनी एक साथ धरती पर बाबा के चरणों को स्पर्श करने आई हों !
बाबा के चरणों में गाई अरुण उपाध्याय की हर भेंट “चाहे जुल्म कर डाल्यो, कितना रोया
हूँ मैं, श्याम नाम की मस्ती, श्याम ऐसी कृपा बरसादे, मेरे शीश के दानी”, एक से बढ़कर
एक थी ! लग रहा था कि, सुरों का सुरीला सफ़र चल पड़ा, जैसे कई नदियाँ कलकल करती हुईं
झरने से बरसकर सागर को जाने वाली हैं !
इसी तरह बाबा के चरणों में रात कब बीत गयी पता ही नहीं चला और नया दिन आया तो उसमें बाबा का आशीर्वाद और कृपा थी ! "जय बाबा खाटू श्याम की"
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