स्वर्ग में गोचर करने वाले भगवान् श्रीकृष्ण क्यों पहुंचे धरती पर ?

मोक्ष की धरती हुई पावन जब प्रकट हुए यहाँ स्वयं भगवान् श्रीकृष्ण

इतिहास में हुआ ऐसा पहली बार जब भक्त के बुलाने पर आये स्वयं मधुसुदन प्रभु श्रीकृष्ण 

भगवान् श्रीकृष्ण से वार्तालाप करते राज महाजन 

इस कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान स्वयं धरती पर आकर बहुत सारी बातें करते नज़र आये ! कुछ बातें जानी तो कुछ अनजानी ! जीवन का तथ्य किन बातों में निहित है इन बातों पर विचार-विमर्श करने बैठे द्वारिकाधीश, मुरली बज्जैया, रास राच्चैया, सोलह कला संपन्न प्रभु श्रीकृष्ण के साथ राज महाजन ! कहते हैं भगवान सिर्फ उन्हें ही दर्शन देते है जो उनके प्रिय होते हैं ! सृष्टि को रचने वाले ने इसकी रचना प्रेम भाव से रहने के लिए की थी लेकिन इसके विपरीत आज धरती पर हर तरफ प्रेम की जगह सिर्फ मार-काट, लूट-खसोट, व्याभिचार, दुराचार पसरा पड़ा है ! ऐसी स्थिति में भगवान को अपने भक्तों को मार्ग दिखाने के लिए आने पड़ा !


प्रभु के आने के बाद सवालों का काफी लम्बा दौर चल पड़ा ! मनुष्य एक जिज्ञासु प्राणी है, कभी भी उसकी जिज्ञासा शांत होती ही नहीं ! अपनी जिज्ञासु और खोजी प्रवृति के चलते प्रभु पर सवालों की बौछार करदी ! लेकिन प्रजापालक बड़ी ही शांत भाव से सभी प्रश्नों के उत्तर देते चले गए ! बातों बातों में पता ही नहीं चला की इस भौतिक दुनिया में हम मानव समय के बंधक हैं ! समयानुसार चलने वाला ही हर मुश्किल से पार पाता है ! लेकिन प्रभु के सानिध्य में मन इतना रमने लगा कि, मानो जैसे अब प्रभु कहीं नहीं जायेंगे लेकिन ये तो कदापि मुमकिन नहीं क्युकी प्रभु तो किसी एक के नहीं सब जग पालक, सब दुःख हारक हैं !

अपने रूप से मोहित करते रास रच्चैया श्रीकृष्ण
सिर पर मोर पंख, मुकुट में लटकन शोभायमान, सुन्दर-सुन्दर कजरारे नैन, अधरों पर लगी उनकी प्रिये बांसुरी, सुन्दर वस्त्र और आभूषणों से सुसज्जित, पैरों में पैजनिया बांधकर जब वो सामने आये तो एक पल को लगा कि किसी तपस्या का फल मिला हो ! जितना सुन्दर मोहक रूप हमने किताबों-किस्सों में देखा और सुना है उससे भी कहीं ज़्यादा मोहकता, सुन्दरता साक्षात देखने को मिली ! उनके प्रकट होते ही सारा वातावारण ही रमणीय सा प्रतीत होने लगा ! हम मानव तो कभी कल्पना भी नहीं कर सकते कि, स्वयं प्रभु सामने विराजमान होंगे और हमारे सवालों के जवाब भी दे रहे होंगे लेकिन ऐसा हुआ है और वो भी मोक्ष म्यूजिक के स्टूडियो में ! 

धरती पर बढ़ने वालों अत्याचारों को देखते हुए प्रभु को आना ही पड़ा ! राज महाजन (मैनेजिंग डायरेक्टर, मोक्ष म्यूजिक) स्वयं भी प्रभु के सामने मंत्रमुग्ध हो गये और अपने प्रभु की पावन धरा बहते चले गए ! मानवीय संवेदनाओं पर मनुष्य कभी भी नियंत्रण नहीं पा सकता क्युकी ये उसकी नियति है मोह-माया में बांध कर रहना ! इसी मोह माया में हमने प्रभु को भी बांधना चाहा परन्तु ये हो न सका ! प्रभु तो सभी बंधनों से मुक्त हैं ! वह तो ब्रह्म हैं ! प्रभु से बातचीत करने का केवल यही निष्कर्ष निकला कि, मनुष्य को अपना लक्ष्य कभी नही त्यागना चाहिए और उसका लक्ष्य है निरंतर कर्म करते रहना ! बाकी सभी चिंताए हमें प्रभु पर छोड़ देनी चाहिए ! हम सबका कल्याण करने वाले केवल वहीँ हैं ! 

म्यूजिक मस्ती विद राज महाजन में प्रभु श्री कृष्ण से राज महाजन ने क्या बातें की ! ये जानने के लिए आपको देखना होगा इस रविवार रात 10 बजे सिर्फ दिशा टीवी !  





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